-
Recent Posts
- मायामृग मतलब मारीच। मारीच जिसने सोने की छाल वाला हिरण बनकर पूरी रामकथा को नया मोड़ दे दिया। जिसने राम को छल लिया, सीता को मोहकर। लक्ष्मण को भ्रमित कर दिया और खुद रामबाण की आकांक्षा को पूरा करने में सफल रहा। किन्हीं अर्थों में हम सब मायामृग हैं…हमारे भीतर के मारीच की आकांक्षाएं दिखने ना पाएं, इसके लिए स्वर्णछाल ओढ़े रहते हैं। अपने इर्द-गिर्द जो आभामंडल हम बनाए रहते हैं, जरा उसे हटाकर बात करें तो…कुछ अपने मैं की कहूं, कुछ आपके मैं की सुनूं…इस उम्मीद के साथ यहां आया हूं। आपका स्नेह मिलेगा, विश्वास है।
- नमस्कार मित्रो
Recent Comments
Mr WordPress on नमस्कार मित्रो Archives
Categories
Meta
Advertisements